सक्ति

गुरु पूर्णिमा पर वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का लिया संकल्प



कलिकाल में प्रकृति ही सर्वश्रेष्ठ गुरु…चितरंजय पटेल

जिला शक्ति (Nature) प्रकृति भारतीय संस्कृति एवं परंपरा में गुरु के रूप मान्य है, क्योंकि प्रकृति से हम बहुत कुछ सीखते हैं, यथा; हम मौसमों से अनुकूलन, वनस्पति और जीव जंतुओं से जीवन चक्र, और पर्यावरण से जटिलता के बारे में सीखते हैं।
यद्यपि “प्रथम गुरु” का खिताब आमतौर पर माता-पिता को दिया जाता है, क्योंकि वे बच्चे के प्रारंभिक जीवन में ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तो वहीं गुरुजन जीवन दर्शन बोध कराते हुए सद्मार्ग पर चलकर हमारे श्रेष्ठ जीवन जीने हेतु मार्ग प्रशस्त करते हैं, परन्तु वर्तमान कलिकाल में जब माता_पिता, गुरु_शिष्य आदि मानवजनित रिश्ते में स्वार्थपन और कटुता घर कर रही है तब इन सबसे परे प्रकृति ही एक ऐसा गुरु है जो बिना गुरु दक्षिणा लिए हमें हर पल हमारा मार्गदर्शन कर रही है तथा हमारे स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन के लिए बिना भेदभाव ऑक्सीजन की प्रतिपूर्ति करती है तो वहीं हम इसके विपरीत प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, जिसका दुष्परिणाम कमोबेश हम सब भुगतने को मजबूर हैं, इसलिए आज हम सबको संकल्प लेना होगा कि प्रकृति ही सर्वमान्य और प्रथम गुरु है और इस गुरु पूर्णिमा पर प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन का शपथ लेकर अधिक से अधिक वृक्षारोपण करेंगे तथा वनों_जलस्रोतों को संरक्षित करेंगे, यह बात कहते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग लीगल सेल के प्रदेश अध्यक्ष एवं उच्च न्यायालय अधिवक्ता चितरंजय पटेल ने गुरु पूर्णिमा पर वृक्षों में तिलक लगा कर रक्षा सूत्र बांधते हुए उनके संरक्षण का संकल्प लिया तथा जिला चिकित्सालय में  फलदार वृक्ष अमरूद का  रोपण किया।
इस अवसर सिविल सर्जन डॉ संतोष पटेल, जिला परियोजना प्रबंधक कीर्ति बड़ा एवं हॉस्पिटल परिवार के कर्मचारी एवं आम लोगों की गरिमामय उपस्थिति रही।

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