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सरकार की लाडली बहन बैरसिया लोक सेवा केंद्र में परेशान

पीने के पानी साफ सफाई स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था नहीं

बैरसिया लोक सेवा केंद्र में वर्षों से जमे ऑपरेटर की मनमानी से जनता परेशान

रिपोर्टर विनय पटेल

भोपाल जिले की बैरसिया तहसील इन दिनों लगातार किसी न किसी वजह से चर्चाओं में बनी हुई है बैरसिया लोक सेवा केंद्र* की जो सरकारी सेवाओं की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए बनाया गया था लेकिन आज यह स्वयं एक समस्या बन चुका है। केंद्र में आय, निवास, जाति प्रमाणपत्र बनवाने आए लोगों की लंबी कतारें आम बात हैं लेकिन इसके बावजूद फाइलें समय पर संबंधित विभागों को नहीं भेजी जाती और जब भेजी जाती हैं तो उनमें इतनी त्रुटियाँ होती हैं कि लाभार्थियों को प्रमाण पत्र में अंकित गलत प्रविष्टियों को ठीक करवाने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
क्या *भोपाल कलेक्टर * को इन हालातों की जानकारी नहीं है
क्या *प्रमाणपत्र जारी करने वाले अधिकारी इस विषय पर कभी संज्ञान लेंगे। सरकारें भले ही डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस की बातें करती हों लेकिन बैरसिया की जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है।

लोक सेवा केंद्र बैरसिया में किसी भी सेवा प्रदान करने की शासन द्वारा निर्धारित शुल्क तथा समयसीमा की जानकारी किसी भी नोटिस बोर्ड तथा बेनर पर नहीं हे।

लोक सेवा केंद्र बैरसिया में नागरिको को न तो पीने के पानी की किसी प्रकार की व्यवस्था है और न ही केंद्र में स्वच्छता हे। न ही केंद्र में इलेक्ट्रिसिटी बेकप के लिए कोई इनवर्टर आदि है। कई बार लाइट चले जाने पर आम जनता को घंटो इन्तजार करना पड़ता है।

लोक सेवा केंद्र में आवेदको को जानकारी देने के लिए या उनकी सहायता के लिया किसी भी तरह की हेल्प डेस्क नहीं हे। किसी भी तरह की हेल्प लेने के लिए पास में स्थित ऑनलाइन की दूकान का पता बता दिया जाता हे, जहा आवेदको से मनमाना शुल्क बसूला जाता है जिसमे लोक सेवा केंद्र के ओपेरेटारो की भी मिलीभगत रहती हे ।
लोक सेवा केंद्र में संचालित आधार सेन्टर पर किसी भी तरह की सेवा के लिए कम से कम 100 रूपए तय हें। इस शुल्क की रशीद की मांग की जाती हे तो काम करने से मना कर दिया जाता हे और उनसे भोपाल में आधार संसोधन कराने की बात कही जाती है या फिर पास में स्थित दुकान में जाने को कहा जाता है जहा पर उसी आवेदक से डील की जाती है। इसके अलावा लोक सेवा में मिलने वाली सेवा के आवेदन भी लोक सेवा केंद्र में उपलव्ध नहीं रहते है उनको भी पास में ऑनलाइन शॉप पर भेज दिया जाता है जिससे लोग को काफी परेशानी होती है । अधिकारियों की निष्क्रियता और जवाबदेही की कमी प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े करती है। अब देखना यह है कि मीडिया में मामला आने के बाद प्रशासन इस पर कोई सख्त कदम उठाता है या फिर यह भी एक और लावारिस खबर बनकर रह जाएगी।

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