भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन सुदामा चरित्र एवं परीक्षित मोक्ष की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता

रिपोर्टर विनय पटेल बैरसिया।। राजधानी भोपाल के समिप ग्राम बदरखासानी मैं आयोजित साथ दिवसीय संगीत मय श्रीमद् भागवत कथा का समापन शनिवार को हुआ। अंतिम दिन श्रीमद् भगवत का रसपान पाने के लिए भक्तों का जनसैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा।
कथा व्यास पंडित हरिओम शास्त्री ने श्रीमद् भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण करवाया जिसमें प्रभु कृष्ण के 16108 विवाह के प्रसंग के साथ सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथाएं सुनाई। सुदामा चरित्र राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनकर श्रोता भक्ति भाव में डूब गए वृन्दावन धाम भोपाल से पधारे हरिओम जी शास्त्री महाराज ने कहा कि द्वारपालों ने द्वारकाधीश से जाकर कहा, प्रभु द्वार पर एक ब्राह्मण आया है और आपसे मिलना चाहता है वह अपना नाम सुदामा बता रहा है। यह सुनते ही द्वारकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। यह सब देख वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर सुदामा में ऐसा क्या है जो भगवान दौड़े दौड़े चले आए हैं सुदामा जी ने भगवान के पास जाकर भी कुछ नहीं मांगा। भगवान श्री कृष्ण ने अपने स्तर से सुदामा को सब कुछ देते हैं। कथा व्यास ने सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की है और समाज में समानता का संदेश दिया है। उन्होंने कथा के माध्यम से यह भी बताया कि सुदामा चरित्र जीवन में कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है। इसके बाद उन्होंने परीक्षित मोक्ष की कथा का भी श्रवण कराया। भगवान श्री कृष्ण के सर्वोपरी लीला श्री रास लीला, मथुरा गमन, दुष्ट कंस राजा के अत्याचार से मुक्ति के लिए कंसबध, कुबजा उद्धार, रुक्मणी विवाह, शिशुपाल वध का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया। वहीं पडित जानकीदास बैरागी सुंदर भजनों की प्रस्तुति दी जिस पर उपस्थित लोगों को ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। पंडित शास्त्री जी ने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के माध्यम अपने को उस अनुरूप आचरण करने कहा जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है। समाज में कुछ लोग ही अच्छे कर्मों द्वारा सदैव चिर स्मरणीय होता है, इतिहास इसका साक्षी है। लोगों ने संगीतमयी भागवत कथा का आनंद उठाया। इस सात दिवसीय भागवत कथा में आस-पास गांव के अलावा दूर दराज से काफी बड़ी संख्या में महिला-पुरूष भक्तों ने इस कथा का आनंद उठाया। सात दिनों तक इस कथा में पुरा वातावरण भक्तिमय रहा। कथा के बाद उपस्थित भक्तों के बीच महा प्रसादी वितरण किया गया।
