बरमकेला कांग्रेस में असंतोष की आंधी: कार्यकर्ताओं ने बदला राजनीतिक रुख, भाजपा बनी पहली पसंद

बरमकेला कांग्रेस में असंतोष की आंधी: कार्यकर्ताओं ने बदला राजनीतिक रुख, भाजपा बनी पहली पसंद
बरमकेला ब्लॉक में कांग्रेस की जड़ें अब हिलती नजर आ रही हैं। स्थानीय नेतृत्व की अनदेखी और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से नाराज कांग्रेसजन अब पार्टी छोड़कर भाजपा की ओर रुख कर रहे हैं। जो कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ था, वहां अब “डूबती नैया” की चर्चा आम हो गई है।
सूत्रों की मानें तो बरमकेला ब्लॉक में कांग्रेस के कई वरिष्ठ व सक्रिय कार्यकर्ता स्थानीय नेतृत्व की निरंकुशता और पक्षपातपूर्ण रवैये से तंग आ चुके हैं। उनका कहना है कि ब्लॉक के प्रमुख नेता संवादहीनता, मनमानी और गुटबाज़ी की राजनीति कर रहे हैं, जिससे पार्टी की साख और शक्ति दोनों प्रभावित हो रही है।
🔥 कार्यकर्ताओं की नाराज़गी हुई सार्वजनिक
कई कांग्रेस समर्थक खुलेआम मंचों और बैठकों में अब यह कहने लगे हैं कि यदि पार्टी को बरमकेला में बचाना है, तो मौजूदा नेतृत्व को तुरंत बदलना होगा। उनका कहना है कि अब भी समय है, वरना पार्टी को यहां पूरी तरह से जमीन से उठने में वर्षों लग जाएंगे।
🚩 भाजपा को मिल रहा सीधा लाभ
इधर, भाजपा ने इस मौके को सुनहरे अवसर की तरह लिया है। कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं को सम्मान व अवसर देकर अपने पाले में लाने में भाजपा लगातार सफल हो रही है। हाल के दिनों में कई प्रमुख कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि बरमकेला में कांग्रेस की स्थिति गंभीर है।
🔴 नेतृत्व पर सवाल, कार्यकर्ता बोले – “अब नहीं तो कभी नहीं”
कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ब्लॉक स्तर पर कांग्रेस का संचालन पूरी तरह दिशाहीन हो चुका है। जमीनी मुद्दों की अनदेखी, गुटबाजी, और वरिष्ठ नेताओं से संवादहीनता ने कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा दिया है।
बरमकेला कांग्रेस अब डूबती नाव जैसी हो चुकी है, जिसे बचाने के लिए सही खिवैया चाहिए,” — एक वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा।
🚩 भाजपा बनी नया ठिकाना
असंतोष की इस लहर का सीधा लाभ भाजपा को मिल रहा है। हाल ही में कांग्रेस के कई पुराने कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए, जिनका कहना है कि भाजपा उन्हें सम्मान और सक्रिय भूमिका देने को तैयार है, जबकि कांग्रेस में उन्हें केवल “भीड़” समझा गया।
🔍 संगठन पर संकट, बदलाव ही विकल्प?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि कांग्रेस ने समय रहते बरमकेला ब्लॉक के संगठन में नेतृत्व परिवर्तन नहीं किया, तो आने वाले चुनावों में पार्टी को यहाँ भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अब कार्यकर्ताओं के मन में एक ही सवाल गूंज रहा है—
“क्या कांग्रेस अपनी नींव बचा पाएगी या बरमकेला में उसका सूरज ढल चुका है?”